Tuesday, June 10, 2014

क्या प्यार ... अब बदल चूका है ??

कभी ये बात की हम --
दो बदन एक जान है ..
अपने उस मेहबूबा से
कहा करते थे ..
बदले में तुम्हारा हक है -
सुनकर बड़ा अच्छा लगता था |
अब भी मेरे ये कान ...
यहीं सुनना चाहते है |

पर अब उनकी याद
बिन बुलायें आ जाती है ,
लेकिन वो बुलाने के बाद भी नहीं आते |

जो रात नींद बनकर
आँखों में समाना चाहती है --
तो दिल थकते हुएँ भी ...
उनके जवाब का
इंतजार करता , रह जाता हैं |

हम बदलें, जिन्दगी बदली..
इंतजार एक सा है , क्या प्यार ...
अब बदल चूका है ??

2 comments:

  1. बहुत सार्थक सन्देश देती प्रभावी पंक्तियाँ.

    ReplyDelete
    Replies
    1. आभार संजय भास्‍कर ज़ी |

      Delete