Friday, July 13, 2012

होसला करने को , अब तो मन कहता है ...

जताए क्या जब , ख़ुशी है ही नहीं
बताये क्या जब , कुछ छुपा ही नहीं ..

होसला करने को , अब तो मन कहता है ,
पर हँसी जब लबों तक आती है ...
तो अनदेखा कर, हमसे दूर चली जाती है |

हथेली पर जो लिखा नाम होता ...
तो अपने आँसूओं से शुरुआत करते
पर रगों में बहते लहूँ से भी धोकर ...
भला तेरी यादों को कैसे मिटायें |

एक तारे की धुन से हम ,
बस अपनी तुलना करते है ,
सच तो ये है , जो संगीत था
वो कहीं खो गया है ....
ये तो दर्द की अनसुनी पुकारें है |


6 comments:

  1. sundar bhaw hai rachana ke
    bahut achhi hai aapki lekhnee...
    ....:)

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  2. मन में हौसला राखिये,मन की बाते मान
    मन में यदि संताप है,मन से उपजे ज्ञान,,,,,,,


    RECENT POST...: राजनीति,तेरे रूप अनेक,...

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  3. एक तारे की धुन से हम,
    बस अपनी तुलना करते है,
    सच तो ये है , जो संगीत था
    वो कहीं खो गया है ....
    ये तो दर्द की अनसुनी पुकारें है|
    बहुत सुंदर लाइनें हैं। दिल की आवाज। निश्‍छल। कल-कल बहती धारा सी।

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  4. जताए क्या जब , ख़ुशी है ही नहीं
    बताये क्या जब , कुछ छुपा ही नहीं ..
    sunder panktiyan.

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