Monday, June 18, 2012

अँधेरे में खोने का इंतजार ....

जो होना था , हो गया 
जाने अनजाने में भूल की हमने ,
लेकिन अब भी रह-रहकर 
वो बाते याद आती है |

जो अब मुझसे रूठ गया ..
उसे अपनी ख़ुशी में जीने दो ,
हम तो एक ठोकर थे ...
जो कभी उन्हें चोट दिया करते थे  |

बेहते ग़मों को ना रोक ...
उसे बहाने दो ...
मेरा दिल टूट गया ..
ये जोड़े ना जुड़ेगा ... अब |

मैं तो उस डूबते सूरज 
की तरह हूँ ....
जिसकी बची रोशनी भी ,
अँधेरे में खोने का 
इंतजार करती है |



5 comments:

  1. अच्छा भाव प्रबंध है .उद्वेग को दिशा दी और अपनी राह हो लिए .अच्छी प्रस्तुति .

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  2. बहुत बेहतरीन भाव अभिव्यक्ति अच्छी प्रस्तुति ,,,,,

    RECENT POST ,,,,फुहार....: न जाने क्यों,

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  3. वाह बेहद खूबसूरत शब्दों की अभिव्यक्ति ....

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  4. aap ka bahut bahut dhanywad ...

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  5. वे बातें इसी तरह याद आती हैं और याद आती रहेंगी!!

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