Friday, December 9, 2011

इस प्यार में नाकामी.....

इस मोहब्बत में,
कितनो को मंजिल नहीं मिलती |
फिर भी हम है , 
जो हर गम सहकर प्यार किये जा रहे है |
दिल टूट चूका है , 
लेकिन इसकी दावा की चाह में ..
बस तुम्हारा नाम लिए जा रहे है |

इस प्यार में नाकामी, 
ही अंजाम ही सही |
फिर भी खुदगर्जी में.. 
तुम्हारे नाम से ही जुड़ने, 
की चाह में ही अब जिये जा रहे है |

कोई क्या जाने ...
प्यार की तड़प को |
जो जानना चाहो 
तो देखो परवानो को |
जो जलकर भी, 
प्यार किये जा रहे है |

10 comments:

  1. लाजबाब कविता | सही में "पॉइंट" हैं

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  2. जी हाँ!
    सभी खुशनसीब नहीं होते हैं।

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  3. हर किसी को नहीं मिलता यहां प्‍यार जिंदगी में......

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  4. मेरा काश ये 'सपना' ..सपना ना होता
    कोइ दूर हमसे भी अपना ना होता ..
    खुदा हमसे ना जाने क्या चाहता है ?!!
    जो "सपना" सा देकर जगा डालता है ..
    जगाकर भी उनसे नहीं है मिलाता..
    जले पर नमक डालकर फिर जलाता
    जो तकलीफ देनी है तो मौत अच्छी
    यूँ तिल तिल के मिटने से तो मौत अच्छी
    बिना उनके जीना भी तो मौत ही है
    विरह का जहर पीना तो मौत ही है..
    क्यूँ उगता है सूरज क्यूँ मिटती है रातें
    क्यूँ यूँ टूट जाती हैं सपनों की बाते ?!!
    वो रोना भी अच्छा था , तुम सामने थे
    भले दूर थे पर तुम्हीं सामने थे ..
    खुली आँख तो ना नजर कुछ भी आये
    थे आंसू मगर लौट कर तुम ना आये
    क्या ये प्यार का हश्र है ?! ये सजा है?!!
    मगर इस तडफ में भी गहरा मज़ा है ..
    झुलस जाउंगा आज दिल की तपन से
    मैं जल जाउगा प्यार की इस अगन से
    ना फिर दोष देना कि, पल भर ठहरते
    ये पल बेवफा है जो अपना ना होता
    अगर मेरा 'सपना' .. जो सपना ना होता
    कोइ दूर हमसे भी अपना ना होता !
    (R.N. Soni) 'अक्षर'

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  5. सभी का आभार .....

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  6. सभी को प्रेम का प्रतिदान कहाँ मिलाता है...सुंदर भावपूर्ण प्रस्तुति..

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  7. कोई क्या जाने ...
    प्यार की तड़प को |
    जो जानना चाहो
    तो देखो परवानो को |
    जो जलकर भी,
    प्यार किये जा रहे है |

    MUCH THANKS ..... GOOD.

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  8. इस प्यार में नाकामी,
    ही अंजाम ही सही |
    फिर भी खुदगर्जी में..
    तुम्हारे नाम से ही जुड़ने,
    की चाह में ही अब जिये जा रहे है |
    इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....

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